February 7, 2024
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- सोहरवर्दी का पूरा नाम शेख शहाबुद्दीन अबुल फ़ुतूह यहया बिन हब्श सोहरवर्दी था किंतु वे सोहरवर्दी के नाम से विख्यात हुए। सोहरवर्दी ने इस्लामी दर्शनशास्त्र के प्रचार एवं प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनको “फल्सफ़ए इशराक़” या इशराक़ी विचारधारा का जनक माना जाता है। वास्तव में सोहरवर्दी ने ही इशराक़ी विचारधारा की आधारशिला रखी थी।[...]
- सोहरावर्दी-2 हमने आपको बताया था कि सोहरवर्दी के नाम से विश्वविख्यात दर्शनशास्त्री, शेख शहाबुद्दीन अबुल फ़ुतूह यहया बिन हब्श का जन्म सन 549 हिजरी क़मरी को ईरान के ज़ंज़ान नगर के एक गांव, सोहरवर्द में हुआ था। सन 587 हिजरी क़मरी में हलब के कुछ धर्मगुरूओं के एक षडयंत्र के अन्तर्गत, सलाहुद्दीन अय्यूबी के आदेश[...]
- सोहरावर्दी-3 हमने यह बताया कि शहाबुद्दीन सोहरावर्दी, ईरान के ज़न्जान शहर के निकट एक गांव में 549 हिजरी क़मरी में पैदा हुए और 38 साल की उम्र में 587 हिजरी क़मरी में हलब के धर्मगुरुओं के षड्यंत्र से सलाहुद्दीन अय्यूबी के आदेश पर क़त्ल हुए। यूं तो उनकी ज़िन्दगी कम रही किन्तु कम ज़िन्गदी आयु[...]
- आज हम मुल्ला सद्रा के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री और ईरान के प्रसिद्ध बुद्धिजीवी मुहम्मद बिन इब्राहीम क़ेवामी शीराज़ी पर चर्चा करेंगे। शीराज़ ईरान के ऐतिहासिक शहरों में से एक है जो फ़ार्स प्रांत में स्थित है और पेर्सपोलिस के खंडहरों की वजह से जो सिकन्दर के हाथों तबाह हुए और जला दिए[...]
- सदरुद्दीन मोहम्मद क़ेवाम शीराज़ी उर्फ़ मुल्ला सदरा का जन्म 9 जमादिल अव्वल सन 980 हिजरी क़मरी बराबर 1571 ईसवी को शीराज़ में हुआ। उन्होंने आरंभिक शिक्षा ट्यूशन के ज़रिए हासिल की। चूंकि वह बहुत तीक्षण बुद्धि के थे इसलिए बहुत ही कम समय में उन्होंने फ़ारसी और अरबी भाषा व साहित्य तथा लेखन का ज्ञान[...]
- सदरुद्दीन मुहम्मद क़ेवाम शीराज़ी उर्फ मुल्ला सदरा का जन्म 9 जमादिल ऊला सन 980 हिजरी क़मरी बराबर 1571 ईसवी में ईरान के शीराज़ नगर में हुआ। उन्होंने आरंभिक शिक्षा अपने घर में निजी शिक्षकों से प्राप्त की उसके बाद अधिक शिक्षा के लिए कज़वीन नगर गये जहां बड़े बड़े शिक्षकों की सेवा में उन्होंने विभिन्न[...]
- ईरानी राष्ट्र का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। इस दौरान उसने ऐसे बहुत सारे महापुरुषों को जन्म दिया है जो पूरी दुनिया में ईरान और ईरानियों के गर्व का कारण बने हैं। इन महापुरूषों में से एक विश्व विख्यात कवि हकीम अबूल क़ासिम फिरदौसी हैं। फ़रिदौसी को न केवल ईरानी इतिहास में बल्कि विश्व साहित्य[...]
- ईरान में इस्लाम के आगमन के बाद सामानी शासन काल को फ़ारसी साहित्व व शायरी के फलने फूलने का दौर कहा जा सकता है। सामानी शासन श्रंख्ला के उदय से फ़ारसी साहित्य के विकास की पृष्ठभूमि मुहैया हुयी। चूंकि सामानी परिवार मूल रूप से ईरानी परिवार था इसलिए इस परिवार ने ईरानी संस्कृति के कीर्तिगान[...]
- हमने आपको यह बताया कि महाकवि फ़िरदोसी जिस दौर में जी रहे थे उस दौर में प्राचीन ईरानी कहानियों व किवदन्तियों का ज़ोर था। ऐतिहासिक घटनाएं और प्राचीन कहानियां लोगों के बीच मौखिक रूप में प्रचलित थीं। किवदन्तियां सुनाने वालों की बड़ी मांग थी। लोग रूस्तम, सियावश और इस्फ़न्दयार जैसे बड़े पहलवानों की कहानियों में[...]
- दोस्तो कार्यक्रम श्रंखला "फ़ारसी साहित्य का अनमोल रतन" के साथ उपस्थित हैं। इस कार्यक्रम श्रंखला में हम ईरान के एक महान साहित्यकार नेज़ामी के विचारों, कार्यों और साहित्य पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे। ईरान एक बहुत ही प्राचीन देश है। यहां पर हज़ारों साल पहले संस्कृति विकसित हुई। ईरान के[...]
- दोस्तो हम इस बारे में बात कर चुके हैं कि ईरान में एसे बहुत से कवि, साहित्यकार, कलाकार, बुद्धिजीवी, विद्वान और लेखक पैदा हुए हैं जो वर्षों से ईरानी होने के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। बाद के कुछ भौगोलिक परिवर्तनों के कारण इस प्रकार के महान व्यक्तित्व इस समय ईरान की भौगोलिक सीमा से[...]