तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन से ज़ायोनी शासन की बुनियादें हिल गईं।
February 7, 2024
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- फ़िलिस्तीनियों के अलअक़सा तूफान आपरेशन के बाद से इस्राईल में इस अवैध शासन के विरुद्ध आवाज़ें तेज़ हो गई हैं। जबसे अवैध ज़ायोनी शासन के भीतर नेतनयाहू के नेतृत्व में अतिवादी सरकार का गठन हुआ है उस समय के इस्राईल के भीतर लोगों के बहुत मतभेद पैदा हो गए हैं। यही कारण है कि वहां[...]
- इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फ़िलिस्तीनियों युवाओं के हालिया साहसिक आप्रेशन अलअक़सा तूफ़ान को ज़ायोनी शासन की एसी शिकस्त क़रार दिया जिसकी भरपाई असंभव है। उन्होंने कहा कि इस विनाशकारी तूफ़ान की वजह जाली ज़ायोनी शासन के अपराध, अत्याचार और दरिंदगी है जो उसने फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ की अब यह शासन झूठ[...]
- इस्लामी गणतंत्र ईरान ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए प्रतिरोध की परिधि में केवल सैन्य उपाय पर ध्यान केन्द्रित नहीं किया बल्कि उसने राजनैतिक और क़ानूनी सुझाव भी पेश किया। ईरान के सुप्रीम लीडर ने 20 अक्तूबर 2000 को पहली बार फ़िलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए ईरान की तरफ़ से जनमत संग्रह या[...]
- ब्रिटेन और जर्मनी भी इस्राईल के पाश्विक हमलों के समर्थक हैं और इन देशों के विदेशमंत्रियों ने दावा किया है कि हमास ने पाश्विक तरीके से इस्राईल पर हमला किया है और अभी भी इस्राईली नागरिकों की हत्या के लिए राकेट फायर करता है और हमास को चाहिये कि वह अपने हथियारों को रख दे।[...]
- सीरिया के एक नागरिक अबू बशीर सीरिया सरकार के विरोधियों में थे और 2011 में सरकार के विरुद्ध विद्रोह में शामिल थे। उन्होंने सरकार के विरुद्ध होने वाले विद्रोह का समर्थन किया और अपने परिवार के साथ दाइश के नियंत्रण वाले हलब शहर में चले गये लेकिन उनको यह नहीं पता था कि वह अपने[...]
- सीरिया के नगरों में खूनी घमासान शुरु हो गया और दाइश, सीरियाई विरोधियों की मदद से नगरों पर क़ब्ज़ा करता चला गया और भी बहुत खुश थे। अबूबशीर सीरिया राष्ट्रपति के विरोधी थे और दाइश की जीत से इतना खुश हुए कि अपने परिवार को लेकर एलेप्पो या हलब नगर चले गये लेकिन फिर उनका[...]
- जायोनी मस्जिदुल अक्सा में नमाज़ियों को मारपीट रहे हैं और मस्जिदुल अक्सा का अनादर कर रहे हैं। यही नहीं इस्राईल ने इस बहाने से दक्षिणी लेबनान और गज्ज़ा पट्टी पर हमला किया कि वहां से राकेट दागे गये हैं। जायोनी शासन के अपराधों के जवाब में फिलिस्तीनी जियालों ने भी जायोनी क्षेत्रों की ओर कई[...]
- जो लोग और जो देश यह कहते हैं कि इस्राईल को आत्म रक्षा का अधिकार है तो उनसे पूछा जाना चाहिये कि यह अधिकार केवल अतिक्रमणकारी जायोनियों को है या हर मज़लूम इंसान को आत्म रक्षा का अधिकार है? इस्राईल का समर्थन करने वाले देशों व लोगों से पूछा जाना चाहिये कि जायोनियों ने फिलिस्तीनियों[...]
- अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में जायोनी शासन के अवैध अस्तित्व की घोषणा से पहले यह क्षेत्र ब्रिटेन के अतिग्रहण में था और जायोनियों ने ब्रिटेन के समर्थन से लाखों फिलिस्तीनियों की हत्या की और उन्हें बेघर कर दिया। वास्तव में अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में तथाकथित यहूदी देश के गठन में ब्रिटेन की महत्वपूर्ण भूमिका है और[...]
- फिलिस्तीन के इतिहास को किस प्रकार देखना चाहिये? फिलिस्तीनी राष्ट्र के भविष्य का फैसला कब कर लिया गया और इसमें किन लोगों ने भूमिका निभाई? फ़िलिस्तीन के इतिहास में बालफोर समझौते की क्या भूमिका है? और इसे किस दृष्टि से देखा जाना चाहिये। इसका प्रभाव कहां तक था और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का भविष्य किस प्रकार[...]
- फिलिस्तीन इस्लामी जगत का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है और लगभग 70 वर्षों से जायोनियों ने फिलिस्तीन की भूमि का अतिग्रहण कर रखा है और फिलिस्तीन के समृद्ध इतिहास में पश्चिम और जायोनियों ने अपनी वर्चस्ववादी नीतियों के परिप्रेक्ष्य में हेरा- फेरी कर दी है। इसके लिए पश्चिम और जायोनियों ने संचार माध्यमों सहित बारम्बार विभिन्न[...]
- विश्व समुदाय अभी बान कीमून द्वारा सऊदी अरब का नाम बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों की सूची से हटाने से पहुंचने वाले आघात से उबरा नहीं था कि सयुंक्त राष्ट्र संघ ने इसी तरह का एक और क़दम उठाते हुए सभी को आश्चर्य में डाल दिया। बैतुल मुक़द्दस पर क़ब्ज़ा करने वाले इस्राईल[...]
- 13 सितम्बर 1993 में विश्व की तीन हज़ार हस्तियों की उपस्थिति में ज़ायोनी शासन और फ़िलिस्तीनी प्रशासन के बीच अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के सामने ओस्लो समझौता हुआ। उसके बाद वर्ष 1999 में एहूद बराक के सत्ता में पहुंचने के बाद मिस्र के शहर शरमुश्शैख़ में फ़िलिस्तीनी प्रशासन और ज़ायोनी शासन के बीच वाय रीवर-2[...]
- फ़िलिस्तीन की सौदेबाज़ी के लिए विभिन्न प्रकार के समझौते किए गये जिनमें से एक समझौता ओस्लो था जो विफल हो गया उसके बाद 1999 में एहूद बराक के सत्ता में पहुंचने के बाद मिस्र के शहर शरमुश्शैख़ में फ़िलिस्तीनी प्रशासन और ज़ायोनी शासन के बीच वाय रीवर-2 या शरमुश्शैख़ समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता[...]
- बराक ओबामा के शासन काल में भी फ़िलिस्तीनी - ज़ायोनी विवाद, एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में अमरीका की विदेश नीति में यथावत बाक़ी रहा। बराक ओबामा के पूर्ववर्तियों ने भी फ़िलिस्तीनियों और ज़ायोनियों के बीच तथाकथित शांति के बहुत अधिक प्रयास किए किन्तु इससे न केवल उनके बीच मतभेदों में कमी नहीं हुई बल्कि[...]