नवम्बर 9, 2024
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- फ़िलिस्तीन और इसराइल के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है, लेकिन हमने इस किताब को इसलिए चुना है, क्योंकि राइटर एक यहूदी और इस्राईली है। इलन पैपे इस किताब के राइटर हैं और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक इतिहासकार के रूप में मशहूर हैं।
- यह सवाल उठता है कि क्या यहूदी प्रवासियों को राष्ट्र का दर्जा प्राप्त था। इस सवाल का सबसे बेहतर जवाब, श्लोमो सैंड की किताब The Invention of the Jewish People में देखा जा सकता है।
- यूरोप में ऐसे आंदोलनों की शुरूआत हुई, जिन्हें इतिहासकारों ने यूरोपीय राष्ट्रों की बहार का नाम दिया। कुछ यहूदी नेता चाहते थे कि ज़ायोनीवाद के ज़रिए, यहूदी धर्म की पहचान को एक धर्म के बजाए एक राष्ट्र और क़ौम की पहचान में बदल दें।
- पैपे कहते हैं कि जब ज़ायोनियों का पहला जत्था फ़िलिस्तीन पहुंचा, तो फ़िलिस्तीन एक निर्जन और ख़ाली भूमि नहीं थी। फ़िलिस्तीन पहुंचने से पहले ही, ज़ायोनी संरक्षक इस सच्चाई से वाक़िफ़ थे। जैसा कि फ़िलिस्तीन पहुंचने वाले प्रतिनिधिमंडल ने, अपने सहयोगियों को भेजी गई रिपोर्ट में लिखा थाः दुल्हन एक ख़ूबसूरत महिला है, लेकिन उसने[...]
- इलन पैपे ने अपनी किताब में इस झूठ का ज़िक्र किया है, जो ज़ायोनीवाद ने गढ़ा था। वर्षों के खंडन के बाद हाल ही में ज़ायोनी इतिहासकारों ने पुष्टि की है कि ज़ायोनी आंदोलन के नेताओं ने फ़िलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने, उन्हें जबरन उनके वतन से निकालने और उन्हें दूसरे देशों में स्थानांतरित करने की[...]
- जून 1967 की 6 दिवसीय जंग, एकमात्र विकल्प और मजबूरी में उठाया गया एक क़दम था। लेकिन क्या इसलाइली नेताओं का यह दावा सही है? इसराइली नेताओं का दावा है कि 1967 की जंग को फ़िलिस्तीनी और अरब देशों के नेताओं की कार्यवाहियों और हठधर्मियों के कारण, टाला नहीं जा सकता था। यह जंग इसराइल[...]
- क्या इसराइल मध्यपूर्व में एकमात्र लोकतंत्र है? इस निराधार दावे का दुर्भाग्य से कुछ शोधकर्ताओं द्वारा भी प्रचार किया गया है, लेकिन इसका कोई ऐतिहासिक और सही आधार नहीं है।
- क्या ओस्लो समझौता, एक वास्तविक शांति प्रक्रिया थी? 1993 में इसराइल और पेलिस्टाइन लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (पीएलओ) ने व्हाइट हाउस के लाउंज में अमरीकी राष्ट्रपति की मौजूदगी में ओस्लो नामक समझौते पर हस्ताक्षर किए। पीएलओ के नेता यासिर अरफ़ात, इसराइली प्रधान मंत्री इसहाक़ रॉबिन और इसराइली विदेश मंत्री को बाद में इस समझौते के लिए शांति[...]
- इसराइल का दावा है कि वह शांति की स्थापना के लिए ग़ज़ा से बाहर निकला था इसराइल का यह दावा हास्यास्पद है। क्योंकि 2006 में चुनावों में हमास की जीत के बाद, इसराइल ने ग़ज़ा के ख़िलाफ़ हिंसा का नया दौर शुरू किया था। उसने ग़ज़ा के निवासियों के लिए एक विनाशकारी व्यवस्था की योजना[...]
- इज़राइल को अपनी ख़तरनाक नीतियों पर आगे बढ़ने के लिए हिंसा और रक्तपात की ज़रूरत है वेस्ट बैंक के आधे हिस्से पर पूर्ण क़ब्ज़ा करना, नस्ल के आधार पर जबरन अलगाव की नीतियां लागू करना और फ़िलिस्तीनी नागरिकों के साथ नस्लीय आधार पर भेदभाव करना जैसी क्रूर नीतियों पर अमल उसकी प्राथमिकता है। ऐसे में[...]
- दरअसल इस्राईल, फ़िलिस्तीनियों के बच्चों को आज्ञाकारी और उसकी बातों का अनुसरण करने वाला नागरिक बनाने की कोशिश कर रहा है।
- दो या तीन सप्ताह के भीतर, इस्राईलियों ने कई सौ फ़िलिस्तीनियों को क़त्ल कर दिया और कई हज़ार को घायल कर दिया।
- 1993 में कुख्यात ओस्लो समझौते के बाद, फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईली सैन्य शक्ति के प्रभाव का दायरा और भी बड़ा हो गया क्योंकि…
- संघर्ष के दोनों पक्षों को बच्चों को आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- आवाज से हम जाग गए। मेरे पिता दरवाजे पर गये, इजराइली सैनिकों ने दरवाजे के पलड़े तोड़ दिए और अचानक घर में घुस गए, उनमें से तीन ने सादे कपड़े पहन रखे थे और उनके चेहरे मास्क से ढके हुए थे।
- हिरासत में लिए गए कई बच्चों से मिलने के बाद, उन्होंने केंद्र का वर्णन इस प्रकार किया: हिरासत केंद्र में नौ हिस्से हैं, जिनमें से हर एक में बंदियों को रखने के लिए चार कैंप बने हैं।
- इस्राईल आज पूरी दुनिया में सरकारी आतंकवाद का एक प्रतीक बन चुका है और वह कई दशकों से फ़िलिस्तीनियों की सरज़मीन को छीन रहा है और उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। फ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी की जा रही है। फ़िलिस्तीन में ज़ायोनियों की जड़ों का पता लगाने के लिए हमें क़रीब दो सदी[...]
- दोस्तो आज हम अपनी बात यहां से शुरू करते हैं कि थियोडोर हर्ज़ल के सपनों को साकार करने के लिए पहली ज़ायोनी कांफ़्रेंस का आयोजन 29 अगस्त 1897 को स्वीट्ज़रलैंड के बेसल शहर में किया गया। इस कांफ़्रेंस में क्या हुआ। इसमें 200 से ज़्यादा ज़ायोनी नेताओं और स्कॉलरों ने शिरकत की मक़सद क्या था?[...]
- 1931 में हगाना की सदस्यता छोड़ने वाले कुछ ज़ायोनियों ने अरगन आतंकवादी गुट की स्थापना की। शुरूआत में उन लोगों ने अपने गुट का नाम हगाना बेत रखा। इसके संस्थापकों का मानना था कि हगाना ने ज़रूरत के मुताबिक़, सैन्य और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया है।…
- इस्राईल बनने के बाद पहली जंग 1948 में हुई। इस जंग में ज़ायोनी आतंकवादी गुटों ने फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अपना रौद्र रूप दिखाया। फ़िलिस्तीन से ब्रिटेन के बाहर निकलने की तैयारी के साथ ही, ज़ायोनी आतंकवादी गुटों की आतंकवादी गतिविधियां अपने चरम पर पहुंचने लगीं।
- मेटास्टेसिस इस्राईल 5 ज़ायोनी शासन ने 1968 से ही अलग-अलग बहानों से दक्षिणी लेबनान में आतंकवादी गतिविधियां शुरू कर दी थीं, जिसके कारण प्रतिरोधी मोर्चे के साथ उसकी झड़पें बढ़ती चली गईं। 70 के दशक के आख़िर और 80 के दशक की शुरूआत में लेबनानी सेना काफ़ी कमज़ोर थी।
- मेटास्टेसिस इस्राईल 2006 में इस्राईल और हिज़्बुल्लाह के बीच 33 दिवसीय युद्ध छिड़ गया था। पश्चिम एशिया में यह इस सदी की शुरूआत की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। 2006 में साल की शुरूआत में ही इस्राईल ने लेबनान पर भीषण बमबारी और गोलाबारी शुरू कर दी, जो 33 दिन तक जारी रही।
- फ़िलिस्तीनियों के अलअक़सा तूफान आपरेशन के बाद से इस्राईल में इस अवैध शासन के विरुद्ध आवाज़ें तेज़ हो गई हैं। जबसे अवैध ज़ायोनी शासन के भीतर नेतनयाहू के नेतृत्व में अतिवादी सरकार का गठन हुआ है उस समय के इस्राईल के भीतर लोगों के बहुत मतभेद पैदा हो गए हैं। यही कारण है कि वहां[...]
- इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फ़िलिस्तीनियों युवाओं के हालिया साहसिक आप्रेशन अलअक़सा तूफ़ान को ज़ायोनी शासन की एसी शिकस्त क़रार दिया जिसकी भरपाई असंभव है। उन्होंने कहा कि इस विनाशकारी तूफ़ान की वजह जाली ज़ायोनी शासन के अपराध, अत्याचार और दरिंदगी है जो उसने फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ की अब यह शासन झूठ[...]
- इस्लामी गणतंत्र ईरान ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए प्रतिरोध की परिधि में केवल सैन्य उपाय पर ध्यान केन्द्रित नहीं किया बल्कि उसने राजनैतिक और क़ानूनी सुझाव भी पेश किया। ईरान के सुप्रीम लीडर ने 20 अक्तूबर 2000 को पहली बार फ़िलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए ईरान की तरफ़ से जनमत संग्रह या[...]
- ब्रिटेन और जर्मनी भी इस्राईल के पाश्विक हमलों के समर्थक हैं और इन देशों के विदेशमंत्रियों ने दावा किया है कि हमास ने पाश्विक तरीके से इस्राईल पर हमला किया है और अभी भी इस्राईली नागरिकों की हत्या के लिए राकेट फायर करता है और हमास को चाहिये कि वह अपने हथियारों को रख दे।[...]
- सीरिया के एक नागरिक अबू बशीर सीरिया सरकार के विरोधियों में थे और 2011 में सरकार के विरुद्ध विद्रोह में शामिल थे। उन्होंने सरकार के विरुद्ध होने वाले विद्रोह का समर्थन किया और अपने परिवार के साथ दाइश के नियंत्रण वाले हलब शहर में चले गये लेकिन उनको यह नहीं पता था कि वह अपने[...]
- सीरिया के नगरों में खूनी घमासान शुरु हो गया और दाइश, सीरियाई विरोधियों की मदद से नगरों पर क़ब्ज़ा करता चला गया और भी बहुत खुश थे। अबूबशीर सीरिया राष्ट्रपति के विरोधी थे और दाइश की जीत से इतना खुश हुए कि अपने परिवार को लेकर एलेप्पो या हलब नगर चले गये लेकिन फिर उनका[...]
- जायोनी मस्जिदुल अक्सा में नमाज़ियों को मारपीट रहे हैं और मस्जिदुल अक्सा का अनादर कर रहे हैं। यही नहीं इस्राईल ने इस बहाने से दक्षिणी लेबनान और गज्ज़ा पट्टी पर हमला किया कि वहां से राकेट दागे गये हैं। जायोनी शासन के अपराधों के जवाब में फिलिस्तीनी जियालों ने भी जायोनी क्षेत्रों की ओर कई[...]
- जो लोग और जो देश यह कहते हैं कि इस्राईल को आत्म रक्षा का अधिकार है तो उनसे पूछा जाना चाहिये कि यह अधिकार केवल अतिक्रमणकारी जायोनियों को है या हर मज़लूम इंसान को आत्म रक्षा का अधिकार है? इस्राईल का समर्थन करने वाले देशों व लोगों से पूछा जाना चाहिये कि जायोनियों ने फिलिस्तीनियों[...]
- अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में जायोनी शासन के अवैध अस्तित्व की घोषणा से पहले यह क्षेत्र ब्रिटेन के अतिग्रहण में था और जायोनियों ने ब्रिटेन के समर्थन से लाखों फिलिस्तीनियों की हत्या की और उन्हें बेघर कर दिया। वास्तव में अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में तथाकथित यहूदी देश के गठन में ब्रिटेन की महत्वपूर्ण भूमिका है और[...]
- फिलिस्तीन के इतिहास को किस प्रकार देखना चाहिये? फिलिस्तीनी राष्ट्र के भविष्य का फैसला कब कर लिया गया और इसमें किन लोगों ने भूमिका निभाई? फ़िलिस्तीन के इतिहास में बालफोर समझौते की क्या भूमिका है? और इसे किस दृष्टि से देखा जाना चाहिये। इसका प्रभाव कहां तक था और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का भविष्य किस प्रकार[...]
- फिलिस्तीन इस्लामी जगत का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है और लगभग 70 वर्षों से जायोनियों ने फिलिस्तीन की भूमि का अतिग्रहण कर रखा है और फिलिस्तीन के समृद्ध इतिहास में पश्चिम और जायोनियों ने अपनी वर्चस्ववादी नीतियों के परिप्रेक्ष्य में हेरा- फेरी कर दी है। इसके लिए पश्चिम और जायोनियों ने संचार माध्यमों सहित बारम्बार विभिन्न[...]
- विश्व समुदाय अभी बान कीमून द्वारा सऊदी अरब का नाम बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों की सूची से हटाने से पहुंचने वाले आघात से उबरा नहीं था कि सयुंक्त राष्ट्र संघ ने इसी तरह का एक और क़दम उठाते हुए सभी को आश्चर्य में डाल दिया। बैतुल मुक़द्दस पर क़ब्ज़ा करने वाले इस्राईल[...]
- 13 सितम्बर 1993 में विश्व की तीन हज़ार हस्तियों की उपस्थिति में ज़ायोनी शासन और फ़िलिस्तीनी प्रशासन के बीच अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के सामने ओस्लो समझौता हुआ। उसके बाद वर्ष 1999 में एहूद बराक के सत्ता में पहुंचने के बाद मिस्र के शहर शरमुश्शैख़ में फ़िलिस्तीनी प्रशासन और ज़ायोनी शासन के बीच वाय रीवर-2[...]
- फ़िलिस्तीन की सौदेबाज़ी के लिए विभिन्न प्रकार के समझौते किए गये जिनमें से एक समझौता ओस्लो था जो विफल हो गया उसके बाद 1999 में एहूद बराक के सत्ता में पहुंचने के बाद मिस्र के शहर शरमुश्शैख़ में फ़िलिस्तीनी प्रशासन और ज़ायोनी शासन के बीच वाय रीवर-2 या शरमुश्शैख़ समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता[...]
- बराक ओबामा के शासन काल में भी फ़िलिस्तीनी - ज़ायोनी विवाद, एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में अमरीका की विदेश नीति में यथावत बाक़ी रहा। बराक ओबामा के पूर्ववर्तियों ने भी फ़िलिस्तीनियों और ज़ायोनियों के बीच तथाकथित शांति के बहुत अधिक प्रयास किए किन्तु इससे न केवल उनके बीच मतभेदों में कमी नहीं हुई बल्कि[...]