नवम्बर 9, 2024
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- सियासत की दुनिया में लॉबिंग की अहमियत दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। अमरीका में लॉबिंग एक शक्तिशाली सियासी हथकंडा है। इस देश में निर्णय लेने वाली और प्रभावशाली संस्थाओं में लॉबिस्ट भरे पड़े हैं।
- आयरिश अमेरिकन की कुल संख्या क़रीब 36 मिलियन है, यानी अमरीका की कुल आबादी का 10 फ़ीसद। जर्मन अमेरिकन के बाद यह दूसरी सबसे बड़ा जातीय समूह है।
- एक सदी से ज़्यादा समय से अमेरिका में रहना और ईसाई धर्म का होना, अर्मेनियाई लॉबी की सफलता का एक कारण है। ख़ास तौर पर पिछले दशक के दौरान, अर्मेनियाई लॉबी ने अमेरिकी कांग्रेस में अपना प्रभाव बढ़ाने में सफलता हासिल की है।
- क्यूबन अमेरिकी वे अमेरिकी नागरिक हैं, जो या तो क्यूबा में पैदा हुए हैं, या जिनकी जड़ें क्यूबा में हैं। आधिकारिक जनगणना के अनुसार, अमरीका में क्यूबन अमेरिकियों की संख्या 20 लाख से ज़्यादा है।
- अमेरिकी मुस्लिम समुदाय विभिन्न क़बीलों, संस्कृतियों, नस्लों और राष्ट्रीयताओं से मिलकर बना एक समुदाय है, जिसने आज तक अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षमताओं का अच्छी तरह से उपयोग नहीं किया है।
- अरब अमेरिकी 1880 के दशक में ख़ुद को शामी कहते थे। इसमें वर्तमान सीरिया, लेबनान, फ़िलिस्तीन, जॉर्डन और इराक़ शामिल हैं। उन्हें सीरियाई लेबनानी, अरब और तुर्क के नाम से भी जाना जाता था। 1967 के बाद अमेरिकी अरब के रूप में उनकी नई पहचान बनी।
- अमेरिका में ज़ायोनी लॉबी को इसराइली लॉबी के रूप में जाना जाता है और ज़ायोनी इसे इसराइली लॉबी के बजाय अमेरिकी यहूदी लॉबी कहने की पुरज़ोर कोशिश करते हैं।
- ज़ायोनी लॉबी प्रभाव के लिए दो व्यापक रणनीतियों का पालन करती है यह कांग्रेस और प्रशासन पर दबाव बनाती है और इस तरह से अपना प्रभाव बढ़ाती है। दूसरे यह कि राजनेता या वकील चाहे जो भी विचार रखते हों, यह लॉबी उनके सामने इज़राइल के समर्थन को एक श्रेष्ठ विकल्प के रूप में पेश[...]
- दुनिया का इतिहास 500 साल पहले तक पुर्तगाली व्यापारियों की दुनिया, एक संतरे जितनी छोटी थी। वे पूरी दुनिया में सिर्फ़ एशिया, यूरोप और उत्तरी अफ़्रीक़ा से परिचित थे और ज़मीनी और समुद्री रास्तों से ईरान और रूम जैसे अमीर देशों से व्यापार करते थे। इस आधी-अधूरी दुनिया में जब भी लड़ाईयां कम होती थीं,[...]
- दुनिया का इतिहास कोलंबस ने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए स्पेन का रुख़ किया, और दरबार में जाने से पहले वह उस पादरी से मिलने गया, जिसके सामने रानी इसाबेला ने कंफ़ेशन किया था या अपना अपराध क़बूल किया था। कोलंबस ने पादरी से दोस्ती बढ़ाई और उसे यह यक़ीन दिलाया कि अगर हिंदुस्तान[...]
- दुनिया का इतिहास क्रिस्टोफर कोलंबस ने बड़ी चुनौतियों का सामना किया और सोना हासिल करने के लिए हर तरह की हिंसा का सहारा लिया, इसी हिंसा की वजह से उसके साथियों ने राजा से उसकी बुराई की।
- दुनिया का इतिहास पुर्तगाल, स्पने और फ़्रांस के बीच मुक़ाबला जारी था, इसी दौरान एक और ताक़तवार खिलाड़ी मैदान में कूद पड़ा। वर्षों से ब्रितानी शासकों ने इस मुक़ाबले में कुछ हिस्सा हासिल करने के लिए बहुत हाथ पैर मारे, लेकिन भाग्य में कुछ ऐसा लिखा था कि जो कारनामा मर्द शासक नहीं दिखा सके,[...]
- दुनिया का इतिहास दुनिया भर की दौलत हड़पने के लिए स्पेन और पुर्तगाल के बीच मुक़ाबला जारी था। हर कोई अमरीका, अफ़्रीक़ा और एशिया में ज़्यादा से ज़्यादा इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करना चाहता था। लेकिन इसके बावजूद, दोनों देशों के शाही परिवारों के बीच रिश्ते जोड़ने का सिलसिला जारी था। इनमें से हर देश को[...]
- दुनिया का इतिहास स्पने दूसरा ऐसा मुल्क था, जिसने सपनों के शहर तक पहुंचने के लिए महसागर में अपने जहाज़ उतार दिए थे और आख़िरकार वह अपने सपनों के शहर तक पहुंच भी गया। स्पैनिशों ने एल-डोराडो को इन्का इलाक़े में खोज निकाला। वह इतने लालची थे कि उन्होंने इस इलाक़े के पूरे सोने पर[...]
- दुनिया का इतिहास 7 हेनरी पुर्तगाल के पहले ऐसे प्रिंस थे, जिन्हें समुद्री यात्रा और नए इलाक़ों को खोजने का बहुत शौक़ था। उन्होंने पुर्तगालियों के लिए महासागरों के रास्ते खोल दिए और अफ़्रीक़ी तटों पर दक्षिण में एटलस महासागर की ओर बढ़कर यह साबित कर दिया कि अफ़्रीक़ा उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है, जैसा[...]
- हेनरी वोल्फ़ की तेहरान में मौजूदगी काफ़ी प्रभावशाली थी। रोथ्सचाइल्ड परिवार और बैरन जूलियस रॉयटर जैसे ब्रिटिश यहूदी बैंकरों के साथ उनके बहुत क़रीबी रिश्ते थे। इसीलिए उसने ईरान में ब्रिटिश आर्थिक नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- फ़्रांसीसियों ने अपने अधिकारों के लिए क़रीब 10 साल तक संघर्ष किया और आख़िर में थोड़े समय के लिए सफलता का स्वाद चखा। कामयाबी के बाद उन्होंने अपने इंक़ेलाब के सिद्धांतों के आधार पर मानवाधिकार घोषणापत्र जारी किया।
- अमरीका के बड़े-बड़े फ़ार्म हाउसों में ग़ुलामों को एक बड़ी सी इमारत में रखा जाता था। यह इमारतें आम तौर पर लकड़ी से बनाई जाती थीं और हर इमारत में क़रीब 200 ग़ुलामों को रखा जाता था। इमारत के भीतर घुप अंधेरा होता था और सिर्फ़ एक छोटा सा रोशनदान होता था, जिसमें लोहे की[...]
- जब यूरोपीय नाविकों ने समुद्र में अपने जहाज़ उतारे और नए इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करना शुरू किया, तो ईसाई धर्मगुरुओं ने उनका साहस बढ़ाया। 16वीं सदी में जब अमरीका पर धीरे धीरे यूरोप ने शिकंजा कसना शुरू किया, तो उस समय कैथोलिए ईसाईयों का धार्मिक नेतृत्व, पोप जूलियस द्वितीय के हाथ में था।
- यूरोपीय मिशनरीज़ सिर्फ़ उन देशों के लोगों को जबरन ईसाई बना सकते थे, जहां कोई ताक़तवर शासन नहीं है, या लोग बिखरे हुए हैं और क़बीलों में बंटे हुए हैं। लेकिन जिन देशों में ताक़तर हुकूमतें थीं, वहां वे विभिन्न हीले बहानों से लोगों को ईसाई धर्म की ओर आमंत्रित करते थे।
- 1834 में भारत में अंग्रेज़ वायसरॉय ने एशिया के इस हिस्से के रास्तों का नक़्शा तैयार करने के लिए दो ब्रिटिश जासूसों को ज़िम्मेदार सौंपी। इन दोनों जासूसों को बुख़ारा शहर में पकड़ लिया गया।
- कुछ समय बाद, इंग्लैंड के विदेश मंत्री लॉर्ड क्लेरेंडन ने इस पादरी डॉक्टर को पूर्वी तट और अफ्रीक़ा के अनदेखे हिस्सों पर अंग्रेज़ी वाणिज्य दूत के रूप में नियुक्त किया। लिविंगस्टन को प्राप्त होने वाला पहला आधिकारिक आदेश, पूर्वी और मध्य अफ्रीक़ा के खनिज और कृषि संसाधनों की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी इकट्ठा[...]
- एक दिन ब्राज़ील की एक फ़्लाइट में एक अधैड़ उम्र की गोरी महिला ने जब देखा कि उसकी सीट की बग़ल वाली सीट पर एक काला व्यक्ति बैठा है, तो ग़ुस्से से उसने एयर होस्टिस को बुलाया और कहाः क्या तुम्हें नहीं दिखाई दे रहा है कि मेरी बराबर वाली सीट पर एक काला आदमी[...]
- अंग्रेज़ों ने जोखिम भरे महासागरों का सीना चीरा, ताकि नई दुनिया में क़दम रख सकें और उसे जीत सकें। 1585 में पहला ब्रिटिश जहाज़, वर्जीनिया पहुंचा। इस जहाज़ का कप्तान रिचर्ड ग्रैनविले था, जो ब्रिटिश नौसेना का अफ़सर था। वर्जीनिया के मूल नागरिक रेड इंडियंस बहुत मेहमान नवाज़ थे और उन्होंने बाहें फैलाकर अंग्रेज़ों का[...]
- रेड इंडियंस क़बीलों को या तो अनुबंध पर हस्ताक्षर करके या बलपूर्वक मिसिसिपी नदी के दूसरी ओर भेज दिया गया, लेकिन सरकार एक क़बीले को स्थानांतरित करने की जल्दी में थी, उसका नाम था चेरोकी। जहां यह क़बीला बस्ता था, वहां की ज़मीन में सोना था।
- इंकास या दक्षिण अमरीकी मूल निवासी सोने को सूर्य के पसीने की बूंदें और चांदी को चंद्रमा के आंसू मानते थे। वे इसका इस्तेमाल सिर्फ़ आभूषणों के लिए करते थे। लेकिन जब उन्होंने यूरोपीय लोगों की इसमें बेतहाशा दिलचस्पी और सूर्य के पसीने और चंद्रमा के आंसुओं तक पहुंचने की ललक देखी, तो वे हैरान[...]
- यूरोप में एक के बाद एक क्रांति की आंधी चली, जिसके असर से कोई अछूता नहीं रहा। समृद्ध वर्ग के लोग इस आंधी की लहर पर सवार हो गए, लेकिन जो कमज़ोर वर्ग के लोग थे, उन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया।
- लड़ाईयों से यूरोप के एक हिस्से में शेयर और सोने की क़ीमतों में गिरावट आ जाती थी तो दूसरे हिस्से में यह बहुत ऊपर चली जाती थी। रोथ्सचाइल्ड ब्रदर्स एक दूसरे को इसकी जानकारी देते थे और शेयर और सोने का सौदा करके ख़ूब कमाई करते थे।
- इस हीरे को एक लैदर के बैग में रखकर कश्मीरी शाल और भेड़ की खाल में लपेटकर सी दिया गया था। इस शाल को डलहोज़ी ने अपनी कमर पर लपेट रखा था और वह इसे एक लम्हे के लिए भी अपनी कमर से नहीं खोलते थे। बैरन और बांदा नाम के दो हैवी कुत्ते हमेशा,[...]
- भारत पहुंचने के चार साल बाद, मोहम्मद सईद ने राजा से निकट होने का फ़ैसला किया। गोलकुंडा के राजा का नाम अब्दुल्लाह क़ुतुब शाह था और उसका वित्त मंत्री एक ईरानी था। सईद ने अपने हम वतन से संपर्क किया और दरबार में कोई काम देने का आग्रह किया।
- अहमद शाह का हिंदुस्तान पर हमला, एक ऐसी घटना थी, जिसका अंग्रेज़ों का इंतज़ार था
- सिन्धु नदी के तटीय इलाक़े में रहने वालों को एक सूट-बूट पहने एक अंग्रेज़ पर शक हो रहा था
- भारतीय पुरुषों ने भूख, अत्यधिक करों और लगान के भुगतान से छुटकारा पाने के लिए सेना में शामिल होने में रुचि दिखाई
- हिंदुस्तान में 1857 के ग़दर के बाद, इस देश में अंग्रेज़ों की हालत काफ़ी ख़स्ता हो गई थी
- हिंदुस्तान में ब्रिटिश बैंकों के सामने लोन लेने वाले भारतीय नागरिकों की क़तारें लग गईं
- हिंदुस्तान में उद्योगों के नष्ट होने के कारण, लाखों लोग बेरोज़गार हो गए
- एक बार ट्रेन में सवार होते हुए महात्मा गांधी का एक चप्पल पैर से निकलकर प्लेटफ़ार्म पर गिर गया
- तरीक़ते सफ़ाविया के अनुयायियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती गई
- 16वीं सदी का अंत था और शाह अब्बास सफ़वी को पता था कि यूरोपीय, ईरान के साथ संबंधों को लेकर आतुर हैं
- शाह अब्बास समझ गए थे कि यूरोपीय शासक और शासन ईसाई धर्म के प्रति काफ़ी संवेदनशाली हैं
- इस्फ़हान के पतन के बाद, तहमास्ब ने क़ज़वीन में शाह तहमास्ब द्वितीय होने का एलान कर दिया
- रूसी महारानी से शादी की चाहत का कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन इस मुद्दे को रूसी व्यापारियों ने ख़ूब भुनाया
- नादिर शाह की हत्या के बाद, उसके भतीजे अलीक़ुली मिर्ज़ा को ताज मिल गया
- ख़ार्क युद्ध में अंग्रेज़ों के कमज़ोर प्रदर्शन से नाराज़ करीम ख़ान ने बंदर अब्बास में एक बड़ी फ़ौज के इकट्ठा होने का आदेश जारी कर दिया
- जब ज़ंदिया राजवंश के अंतिम शासक लुत्फ़ अली ख़ान को आग़ा मोहम्मद ख़ान क़ाजार ने क़ैदी बना लिया
- फ़तह अली शाह ने अपने बहीदुर और साहसी बेटे अब्बास मिर्ज़ा को ईरान की सेना की कमान सौंप दी
- अमीर कबीर ख़ुरासान में सालार ख़ान की साज़िश का कोई समाधान खोजने का प्रयास कर रहे थे
- ईरान में क़ाजारियों के शासन की शुरूआत के साथ ही अंग्रेज़ों ने भारत पर क़ब्ज़ा पूरा कर लिया था
- पेरिस शांति संधि के बाद, ईरान के द्वार पूरी तरह से यूरोपीय उत्पादों के लिए खुल गए। इसका असर यह हुआ कि ईरान के हेंडीक्राफ़्ट्स ख़ास तौर पर कपड़ा उद्योग, जिसके उत्पाद मध्य एशिया और रूस को निर्यात किए जाते थे, नष्ट हो गया। सड़कें ग़रीब बेरोज़गार लोगों से भर गईं। बिल्कुल वही घटना, जो[...]
- तेहरान में रज़ा ख़ान और उसके सैनिकों के प्रवेश करते ही शहर की सुरक्षा छिन्न-भिन्न हो गई युद्ध के सभी मोर्चों पर जर्मन कमज़ोर पड़ते जा रहे थे, जिसकी वजह से ब्रिटेन और रूस को इस बात का मौक़ा मिल गया कि वह दूसरे मोर्चों पर अपनी पोज़िशन मज़बूत बना सकें और ईरान के दक्षिण[...]
- पहला विश्व युद्ध समाप्ति पर था, दो साल में ईरान की चालीस फ़ीसद आबादी भूख और कुपोषण से मर गई ईरानियों ने युद्ध में निष्पक्षता का एलान किया था, उसके बावजूद युद्ध ने ईरान को भारी नुक़सान पहुंचाया था। अंग्रेज़ों ने खाद्य पदार्थों को बड़ी मात्रा में स्टोर कर लिया था, जिससे खाने-पीने की बुनियादी[...]
- चर्चिल: एक असफल छात्र से ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर तक इस पॉडकास्ट में हम विंस्टनचर्चिल के जीवन के उस पहलू को जानेंगे, जहाँ उन्हें बचपन में कमज़ोर और असफल माना जाता था। स्कूल में उनके संघर्ष,साथियों द्वारा धमकाए जाने की घटनाएँ, और फिर भी कैसे उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्पसे इतिहास के सबसे महान नेताओं[...]
- एल डोराडो और अमृत: यूरोपीय खोजकर्ताओं की खोई हुई खोज इस पॉडकास्ट में हम अमेरिकीमहाद्वीप की यूरोपीय खोजकर्ताओं द्वारा की गई दो रहस्यमयी खोजों के बारे में जानेंगे – सोने के पौराणिक शहर एल डोराडो की खोज और अमृत (युवा बने रहने का रहस्य) की तलाश।क्या ये सिर्फ़ किंवदंतियाँ थीं या इनमें कोई सच्चाई छुपी[...]
- तेल युद्ध: रॉकफ़ैलर बनामरोथ्सचाइल्ड्स की सत्ता की जंग इस पॉडकास्ट में हम 19वीं सदी की उस गुप्त आर्थिक लड़ाई की कहानी सुनेंगे, जब रॉकफ़ैलर की स्टैंडर्ड ऑयल ने एशिया के बाज़ारों पर कब्ज़ाकर लिया और रोथ्सचाइल्ड्स परिवार ने भी इस प्रभुत्व को चुनौती देनी शुरू कर दी। कैसेतेल, धन और साम्राज्यवाद की यहजंग आधुनिक वैश्विक[...]
- तेल का प्राचीन रहस्य:4500 साल पहले की पेट्रोलियम क्रांतिक्या आप जानते हैं कि आज से4500 साल पहले ही सुमेरियन, असीरियन और बेबीलोनियन सभ्यताएँ तेल का इस्तेमाल कर रही थीं? इस पॉडकास्ट में हम खोजेंगे कि कैसे प्राचीन ईरान में बिटुमेन झीलों से तेल निकालाजाता था और उसे जहाज़ों को इन्सुलेट करने जैसे कामों में लगाया[...]
- तेल की खोज और भूवैज्ञानिकहोम्स: धरती के गर्भ में छिपे रहस्य इस एपिसोड में हमतेल की खोज के रोमांचक इतिहास और भूवैज्ञानिक होम्स की गतिविधियों पर चर्चा करेंगे।जानिए कैसे वैज्ञानिकों ने धरती की परतों के रहस्यों को समझकर तेल के भंडारों का पतालगाया। होम्स की तकनीकों और उनके प्रभाव को समझने के लिए यह पॉडकास्ट[...]
- तेल, ताक़त और राजनीति:कैसे तेल कंपनियों की लूट पर रोक लगी?तेल की दुनिया में सत्ता औरपैसे का खेल हमेशा से रहा है। इस एपिसोड में हम उस दौर की कहानी सुनाएँगे जब विदेशी तेल कंपनियों ने ख़ूब मुनाफ़ा कमाया, लेकिन फिर तेल समृद्ध देशों के शासकों ने अपनी सूझ-बूझसे अपना हिस्सा बढ़ाने की रणनीति अपनाई।[...]
- नेपोलियन का मिस्र अभियान:एक असफल विजय और मध्य पूर्व की लड़ाई"1798 में, प्रथम विश्व युद्ध से लगभग एक सदी पहले, नेपोलियन बोनापार्ट ने 5 लाख 40 हज़ार सैनिकों और 190 जहाजों की विशाल सेना के साथ मिस्र पर विजय पानेका प्रयास किया। उतरने से पहले, उसने मिस्र के लोगों को एक चतुराई से लिखा संदेश[...]
- अफ्रीका में पुर्तगालियों का काला इतिहास: गुलामी, सोना और धर्म का छल इस एपिसोड में हम अफ्रीकामें पुर्तगालियों के काले इतिहास पर चर्चा करेंगे। कैसे उन्होंने सोने और गुलामों के लिए अफ्रीकियों के साथ अमानवीय अत्याचार किए, कैसे उन्होंने धर्म का प्रचार करने के बहाने लोगों को धोखा दिया,और कैसे कांगो के शासक ने पुर्तगाल के[...]
- अफ्रीका में यूरोपीय छल: कबीलों की फूट और रात के युद्ध का डर इस एपिसोड में हम अफ्रीका पर यूरोपीयनों के कुटिल हमलों की कहानी सुनेंगे। कैसे उन्होंने स्थानीय कबीलों की आपसीलड़ाइयों का फायदा उठाया, कैसे कुछ कबीलों ने गोरों का साथ देकर अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध किया, और कैसे अंधविश्वासों ने अफ्रीकियों को[...]
- 17 अक्टूबर 1961 की रक्तरंजितरात: पेरिस में अल्जीरियाई नरसंहार का काला इतिहासइस एपिसोड में हम 17 अक्टूबर 1961 की उस भयावह रात की कहानी सुनेंगे, जब पेरिस की सड़कों पर अल्जीरियाई प्रदर्शनकारियों का निर्ममतापूर्वक दमन कियागया। फ्रांसीसी पुलिस ने सैकड़ों निर्दोष लोगों को गोली मार दी, हजारों को गिरफ्तार किया, और कई को सीन नदी[...]
- उमर मुख़्तार: लीबिया के सिंह की प्रेरक जीवन गाथा इस एपिसोड में हम लीबिया के महान स्वतंत्रता सेनानी और सनुसी नेता उमर मुख़्तार के प्रारंभिक जीवन की अनकही कहानीसुनेंगे। जानिए कैसे एक अनाथ बालक ने अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता, धार्मिक शिक्षा और नैतिक दृढ़ता के बल पर पूरे लीबिया का प्रेरणास्रोत बन गया। उनकी कुरान से लगाव,[...]
- अमरीका लगभग 247 साल पुराना देश है जिसने अपने जीवन की इतनी सी मुद्दत में 227 जंगों में हिस्सा लिया। बीसवीं सदी के दूसरे पचास वर्षों में उसने 22 देशों पर सैनिक चढ़ाई की। इन हमलों का निशाना बनने वाले अधिकतर आम नागरिक और ख़ास तौर पर महिलाएं और बच्चे हैं। क़त्ले आम, यौन उत्पीड़न[...]
- क्या हीरोशीमा, नागासाकी, मे लाई, वियतनाम, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं, लड़कियां और बच्चे ही अमरीका के अपराधों का निशाना बने और क़त्ल कर दिए गए? क्या दुनिया के दूसरे इलाक़ों में महिलाएं अमरीकी हमलों से बची रहीं? ख़ुद अमरीकी महिलाओं की क्या दशा है? क्या अमरीकियों ने अपना हिंसक और वहशीपन का स्वभाव केवल[...]
- ईरानी कैलेंडर में 27 जून से लेकर 3 जुलाई तक को अमरीकी मानवाधिकार सप्ताह का नाम दिया गया है। इसका कारण यह है कि अमरीकी अपराधों विशेष रूप से ईरानी जनता पर अमरीकी अत्याचारों को याद रखा जाए। बड़ी शक्तियां अपने हितों को साधने के लिए अपनी ताक़त का इस्तेमाल करत रही हैं, ताकि वह[...]
- ईरानी कैलेंडर में 27 जून से लेकर 3 जुलाई तक को अमरीकी मानवाधिकार सप्ताह का नाम दिया गया है। इसका कारण यह है कि अमरीकी अपराधों विशेष रूप से ईरानी जनता पर अमरीकी अत्याचारों को याद रखा जाए। बड़ी शक्तियां अपने हितों को साधने के लिए अपनी ताक़त का इस्तेमाल करत रही हैं, ताकि वह[...]
- ईरान के कैलेण्डर में चौथे महीने की 6 तारीख से लेकर 12 तारीख अर्थात 27 जून से 3 जूलाई को "अमरीकी मानवाधिकार" सप्ताह के रूप में घोषित किया गया है। शमसी कैलेण्डर में चौथे महीने का नाम तीर है। तीर वह महीना है जिसके दौरान ईरान के भीतर कई महत्वपूर्ण आतंकवादी घटनाएं घटीं। इसका कारण[...]
- अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और नियमों के मुताबिक़, प्रत्येक व्यक्ति का सबसे बुनियादी और स्पष्ट अधिकार, उस देश का नागरिक होना है, जहां वह पैदा हुआ और रहता है। लेकिन म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों को इस बुनियादी अधिकार से वंचित रखा गया है। अराकान या रखाइन प्रांत, रोहिंग्याओं का ऐतिहासिक और पैतृक वतन है। यह लोग सैकड़ों[...]
- अराकान (रखाइन) समेत पूरे म्यांमार पर ब्रिटिश साम्राज्य के क़ब्ज़े का दिलचस्प इतिहास है। अंग्रेज़ों ने जब पूरे भारत पर क़ब्जा कर लिया तो उन्होंने नाफ़ नदी के उस पार और वर्तमान म्यांमार पर ध्यान दिया और वहां सैन्य चढ़ाई कर दी। अरकान में बर्मा की पहली लड़ाई लड़ी गई। अरकान में अंग्रेज़ों और स्थानीय[...]
- 1962 में म्यांमार के सैन्य जनरलों ने यू नू ( UNU) या थाकिन नू की सरकार का तख़्तापलट दिया। तीन समुदायों शान, राखीन और रोहिंग्या के संयुक्त प्रतिरोध व आंदोलन के नतीजे में तैयार होने वाले संविधान को रद्द कर दिया। परिणाम स्वरूप, रोहिंग्या मुसलमानों को जो भी सुविधा प्राप्त हुई थी, वह ख़त्म हो[...]
- हमने तकफ़ीरी गुटों के वैचारिक सिद्धांतों का उल्लेख किया था और यह सिद्ध किया था कि इनमें से सबसे प्रमुख गुट दाइश का वहाबियत विचारधारा से क्या संबंध है। वहाबियत के जन्म लेने और इसमें ब्रिटेन की भूमिका से पता चलता है कि इस मत को शुरू से ही मुसलमानों के बीच मतभेद उत्पन्न करने[...]
- सलफ़ियों का एक मूल सिद्धांत आयतों और रिवायतों के समझने में बुद्धि की भूमिका को रद्द करना है। सलफ़ियों या तकफ़ीरियों के निकट बुद्धि का कोई स्थान नहीं है। उनका मानना है कि क़ुरान और पैग़म्बरे इस्लाम (स) के आचरण में धर्म के पूर्ण सिद्धांत मौजूद हैं और इन्हें समझने और उनका पालन करने के[...]
- ईरान के कैलेण्डर में चौथे महीने की 6 तारीख से लेकर 12 तारीख अर्थात 27 जून से 3 जूलाई को "अमरीकी मानवाधिकार" सप्ताह के रूप में घोषित किया गया है। शमसी कैलेण्डर में चौथे महीने का नाम तीर है। तीर वह महीना है जिसके दौरान ईरान के भीतर कई महत्वपूर्ण आतंकवादी घटनाएं घटीं। इसका कारण[...]
- दाइश ख़ुद को अंतिम काल में मानवता को मुक्ति दिलाने वाला गुट मानता है। वह ख़ुद को अंतिम मुक्तिदाता के रूप में पेश करना चाहता है। दाइश की पत्रिका दाबिक़ में इस तरह का काफ़ी प्रचार किया जाता है। दाबिक़ के दूसरे अंक में अंतिम पेज पर सही मुस्लिम के हवाले से पैग़म्बरे इस्लाम (स)[...]
- भाजपा के ख़िलाफ़ बने इंडिया गठबंधन में आए दिन नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। अब ख़बर आ रही है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस को लेकर अपना रुख़ सख़्त कर लिया है और अब वह कांग्रेस से बातचीत के लिए अपना कोई प्रतिनिधि नहीं भेजेंगी। इधर कांग्रेस पार्टी के सदस्य[...]
- भारत में जहां विपक्ष में बिखराव बढ़ता ही जा रहा है वहीं सबसे बड़ा विपक्षी दल कांग्रेस विपक्ष को सरकार के विरुद्ध एक मंच पर लाने की कोशिशें कर रहा है। इसी कोशिश के अंतर्गत कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से भारत न्याय यात्रा शुरू करेंगे जो 14 राज्यों के 85 ज़िलों को कवर[...]
- दोस्तो हमारे भारतीय समाज में धार्मिक सद्भावना की जड़ें इतनी गहरी हैं कि दुनिया भारत के इस सद्भावना पूर्ण इतिहास की मिसालें पेश करती है। भारत को "अनेकता में एकता" रखने वाले देश के रूप में जाना जाता है। भारत के इतिहास पर नज़र डालने से पता चलता है कि इस देश में हमेशा हर[...]
- दोस्तो यह तो आप सब देख ही रहे हैं कि भारत और कनाडा का संबंध कुछ ही दिनों में बहुत तेज़ी से अपने निचले स्तर पर पहुंच चुका है। वैसे यह यहां यह बताना ज़रूरी है कि यह सब जो हो रहा है वह कुछ ही दिनों की बात नहीं है। बल्कि कई वर्षों से[...]