February 5, 2024
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- अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और नियमों के मुताबिक़, प्रत्येक व्यक्ति का सबसे बुनियादी और स्पष्ट अधिकार, उस देश का नागरिक होना है, जहां वह पैदा हुआ और रहता है। लेकिन म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों को इस बुनियादी अधिकार से वंचित रखा गया है। अराकान या रखाइन प्रांत, रोहिंग्याओं का ऐतिहासिक और पैतृक वतन है। यह लोग सैकड़ों[...]
- अराकान (रखाइन) समेत पूरे म्यांमार पर ब्रिटिश साम्राज्य के क़ब्ज़े का दिलचस्प इतिहास है। अंग्रेज़ों ने जब पूरे भारत पर क़ब्जा कर लिया तो उन्होंने नाफ़ नदी के उस पार और वर्तमान म्यांमार पर ध्यान दिया और वहां सैन्य चढ़ाई कर दी। अरकान में बर्मा की पहली लड़ाई लड़ी गई। अरकान में अंग्रेज़ों और स्थानीय[...]
- 1962 में म्यांमार के सैन्य जनरलों ने यू नू ( UNU) या थाकिन नू की सरकार का तख़्तापलट दिया। तीन समुदायों शान, राखीन और रोहिंग्या के संयुक्त प्रतिरोध व आंदोलन के नतीजे में तैयार होने वाले संविधान को रद्द कर दिया। परिणाम स्वरूप, रोहिंग्या मुसलमानों को जो भी सुविधा प्राप्त हुई थी, वह ख़त्म हो[...]