इस्लामी क्रांति ने समाज में आत्म विश्वास भरा तो विकास का सफ़र भी तेज़ हुआ
February 6, 2024
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- अगर विज्ञान के प्रसार को एक देश के स्थायी विकास व तरक़्क़ी का सबसे अहम मानदंड मानते हैं तो इस बात को मानना पड़ेगा कि फ़न्डमेन्टल साइंस और ह्यूमनिटीज़ अर्थात आर्ट्स के विषयों को उनकी विशेषताओं के मद्देनज़र अन्य विज्ञानों की उत्पत्ति व विकास का आधार मानना होगा। फ़न्डमेन्टल साइंस से अन्य विज्ञानों और ख़ास[...]
- ईरानी वैज्ञानिकों ने विश्व में लिखे जाने वाले वैज्ञानिक लेखों के संदर्भ में प्रभावी भूमिका निभाई है। ईरान में जो वैज्ञानिक लेख लिखे गए हैं उनमे से लगभग 80 प्रतिशत आईएसआई डेटाबेस पर मौजूद हैं। हमने इस ओर भी संकेत किया था कि ईरानी वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक लेख, गुणवत्ता की दृष्टि से उच्च श्रेणी के[...]
- यह प्रगति इस स्तर की रही है कि विश्व में वैज्ञानिक प्रगति पर नज़र रखने वाली संस्थाओं ने भी इसकी सराहना की है। विशेष बात यह है कि ईरान ने पिछले चार दशकों के दौरान एसी स्थिति में विकास किया है कि जब वह विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों का शिकार रहा है। हालाकि इन प्रतिबंधों[...]
- बीसवीं सदी को क्रांतियों की सदी कहा जा सकता है। इस शताब्दी की पहली क्रांति वर्ष 1917 में रूस में आई थी और उसके बाद, चीन, क्यूबा, ईरान और निकारागुओ में एक के बाद एक क्रांतियां आती गईं। लेकिन निश्चित रूप से इस सदी की सबसे अलग और अहम क्रांति ईरान की इस्लामी क्रांति थी[...]
- ईरान मध्यपूर्व व पश्चिम एशिया में स्थित है। ईरान की इस्लामी क्रांति से पहले इस क्षेत्र में कभी कोई क्रांति नहीं आई थी। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि ईरान की इस्लामी क्रांति, मध्यपूर्व क्षेत्र की पहली क्रांति थी। यह एसा क्षेत्र है जहां पर विदेशियों का अधिक प्रभाव है। भू-राजनैतिक होने का[...]
- ईरान की इस्लामी क्रांति के न केवल यह कि आंतरिक लक्ष्य थे बल्कि उसके क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य भी थे और यह उद्देश्य और लक्ष्य भी दूसरी क्रान्तियों से बहुत ही अलग थे। ईरान की इस्लामी क्रांति का संदेश, आंतरिक स्तर पर स्वतंत्रताप्रेम और अत्याचार को नकारना, स्वाधीनता प्रेम, ईरान पर विदेशी वर्चस्व नकारना, न्याय,[...]
- यह बात सर्वविदित है कि फरवरी 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हुई थी। इस क्रांति ने बहुत से परिवर्तन किये जिसने न केवल ईरान को बल्कि विश्व के अन्य देशों को भी प्रभावित किया था। ईरान की इस्लामी क्रांति और विश्व की अन्य क्रांतियों में सबसे बड़ा अंतर यह था कि वह इस्लामी[...]
- इस्लामी क्रांति के दौरान ईरान की जनता की मुख्य आकांक्षा, स्वतंत्रता और अपने भविष्य निर्धारण के अधिकार को अपने हाथ में लेना था। पहलवी शासनकाल के दौरान ईरानी राष्ट्र ने अत्याचार, घुटन, दमन और समस्याओं को अपने पूरे अस्तित्व से महसूस किया था। वे एसी लोकतांत्रिक सरकार के गठन के इच्छुक थे जिसमे जनता के[...]
- 22 बहमन-3 निस्संदेहः ईरान की इस्लामी क्रांति को दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रांतियों में से एक माना जाता है। इस महान आंदोलन में ईरानी जनता की व्यापक उपस्थिति के बिना, तानाशाही पहलवी शासन को उखाड़ फेंकना संभव नहीं था, जिसे विदेशी महाशक्तियों, सुरक्षा बलों और शक्तिशाली सेना का समर्थन प्राप्त था। लेकिन जिस चीज़ ने[...]
- दोस्तो जैसाकि आप जानते ही हैं कि जनरल क़ासिम सुलेमानी का संबंध न किसी प्रसिद्ध परिवार से था और न ही किसी कुलीन वर्ग से था, वह एक समान्य परिवार से संबंध रखते थे। हालांकि प्रसिद्ध समाचार पत्र गार्जियन का उनके बारे में कहना है कि "जनरल क़ासिम सुलेमानी क्षेत्र के एक बहुत ही दूरदर्शी,[...]
- दोस्तो ईरान के महान योद्धा शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी की शहादत की चौथी बरसी के मौक़े पर पेश किए जाने वाले विशेष कार्यक्रम की इस दूसरी कड़ी में हम शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी की ईरान की इस्लामी क्रांति और पवित्र प्रतिरक्षा में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालेंगे। दोस्तो जब ईरान में इस्लामी क्रांति की लहर[...]
- दोस्तो ईरान के महान योद्धा शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाले विशेष कार्यक्रम की तीसरी कड़ी में हम शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी के क़ुद्स फ़ोर्स का कमांडर नियुक्त होने से पहले ईरान और अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोहों से किए जाने वाले[...]
- दोस्तो ईरान के महान योद्धा शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाले विशेष कार्यक्रम की चौथी कड़ी में हम शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी के उन पहलुओं पर रोशनी डालेंगे कि जिसने उनके व्यक्तित्व को एक विचारधारा में बदल दिया है। बता दें कि जब जनरल क़ासिम सुलेमानी ने सारुल्लाह[...]
- संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के आदेश पर इस देश के रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने ड्रोन हमले के ज़रिए जनरल क़ासिम सुलेमानी और अबू महदी अल मोहन्दिस को उनके 8 अन्य साथियों के साथ बग़दाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रास्ते में शहीद कर दिया गया। इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल आईआरजीसी की[...]