February 6, 2024
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- इस्लामी जगत में मस्जिद की अहमियत और मौजूदा दौर में इसके रोल के मद्देनज़र हमने एक नई कार्यक्रम श्रंख्ला शुरु की है। इस कार्यक्रम में हम पवित्र क़ुरआन की आयतों, पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों व आचरण को आधार बनाकर मस्जिद की विभिन्न उपयोगिताओं के बारे में बताएंगे। इसी प्रकार इस कार्यक्रम[...]
- मस्जिद वह आतिथ्य गृह है जिसका मेज़बान महान व सर्वसमर्थ ईश्वर है और वहां वह अपनी असीम कृपा से अपने मेहमानों का आतिथ्य सत्कार करता है। मेहमान इस पवित्र गृह में निष्ठा के साथ उसकी उपासना करके उसका सामिप्य प्राप्त करते हैं। मस्जिद महान ईश्वर के बंदों व मेहमानों के लिए वह बाज़ार है जिसमें[...]
- जैसाकि हम बता चुके हैं कि दुनिया के हर धर्म में उपासना को विशेष महत्व प्राप्त रहा है। उपासना के कारण उपासना स्थल भी सम्मानीय दृष्टि से देखे जाते हैं। पूरे विश्व में हर धर्म के मानने वाले अपने धर्मस्थल को विशेष महत्व देते हैं और उसकी सफाई सुथराई के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं।[...]
- पिछले कार्यक्रम में हमारी चर्चा यहां पहुंची थी कि मोआविया के काल में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उसके अत्याचार पर ख़ामोश नहीं रहते थे। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने हज के मौसम में और मक्का के मिना नामक स्थान पर 58 हिजरी कमरी में यानी मोआविया की मौत से दो साल पहले एतिहासिक भाषण दिया था। इमाम[...]
- प्रिय श्रोताओ आपको अवश्य याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने कहा था कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने बनी उमय्या के दौर से मुकाबला करने के लिए बहुत प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने पत्र लिखा, खुत्बा दिया, धार्मिक और राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात करके यज़ीद की अत्याचारी सरकार की वास्तविकता को लोगों के लिए बयान[...]
- प्रिय श्रोताओ आपको अवश्य याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने इस बात की चर्चा की थी कि कुछ लोग आशूरा की एतिहासिक व महान घटना को एक सामान्य घटना समझते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। आशूरा वह महान व एतिहासिक महाआंदोलन है जो कर्बला से आरंभ हुआ है और आज तक जारी है।[...]
- दोस्तो पिछले कार्यक्रम में हमने कहा था कि महामुक्तिदाता के ज़ुहूर के इंतेज़ार करने वाले को चाहिये कि वह दूसरे इंसानों व मोमिनों की सहायता को अपना परमदायित्व समझे। इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि एक मोमिन की ज़रूरत को पूरा करना एक हज़ार कबूल हज, एक हज़ार दासों को आज़ाद करना और एक[...]
- दोस्तो पिछले कार्यक्रम में हमने कहा था कि जो इंसान महामुक्तिदाता का वास्तविक प्रतीक्षक बनना चाहता है उसे चाहिये कि वह लोगों से प्रेम करे और उनका हितैषी बने। जब इंसान के दिल में दूसरों का प्रेम होगा तभी वह दूसरों के साथ भलाई करेगा। महान ईश्वर अपनी समस्त रचनाओं से असीम प्रेम करता है[...]
- दोस्तो पिछले कार्यक्रम में हमने कहा था कि जो इंसान महामुक्तिदाता का सच्चा प्रतीक्षक बनना चाहता है उसे चाहिये कि वह महान ईश्वर से अपने संपर्क को दिन प्रतिदिन मज़बूत बनाये और इस संबंध को मज़बूत बनाने का एक तरीक़ा दुआ है। दुआ इंसान को महान ईश्वर से निकट करती है। दुआ महान ईश्वर से[...]
- कुरआनी क़िस्से 172 दोस्तो आज के कार्यक्रम में हम आपको यह बतायेंगे कि पवित्र कुरआन के सूरे रहमान की पहली से लेकर छठी आयतें कब नाज़िल हुई थीं। जो लोग जंगलों में रहते हैं शारीरिक दृष्टि से आम तौर पर वे मज़बूत इंसान होते हैं। इस्लाम के उदय से पहले अज्ञानता के काल के बहुत[...]
- दोस्तो आज के कार्यक्रम में हम आपको यह बतायेंगे कि पवित्र कुरआन के सूरे वाक़ेआ की 27 से लेकर 33 तक की आयतें कब नाज़िल हुई थीं। इसी तरह इस कार्यक्रम में यह भी बतायेंगे कि सूरे वाकेआ की आयत नंबर 82 कब नाज़िल हुई थी। एक बार पैग़म्बरे इस्लाम के साथ मुसलमान ताएफ़ नगर[...]
- दोस्तो आज के कार्यक्रम में हम आपको यह बतायेंगे कि पवित्र कुरआन के सूरे हदीद की 16वीं और 17वीं आयतें कब नाज़िल हुई थीं। एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने अनुयाइयों से फरमाया तुममें से कौन हर दिन रोज़ा रखता है? इसके जवाब में एक गैर अरब ताज़ा मुसलमान ने कहा कि हे ईश्वरीय दूत[...]